Last Updated on 10 October 2024 by Abhishek Gupta
अलीमा का कोर्स कैसे होता है? आप अगर पता करना चाहते हैं, तो बिल्कुल सही आर्टिकल आप पढ़ रहे हैं। आज आपको Alimah Ka Course Kaise Hota Hai के बारे में जानकारी दी जाएगी।
क्या आप एक मुस्लिम कैटेगरी से आते हैं और आप अलीमा कोर्स करना चाहते हैं। ऐसे में यह बहुत ही महत्वपूर्ण आर्टिकल आपके लिए रहने वाला है।
आप में से बहुत लोगों ने अलीमा कोर्स के बारे में सुना होगा। How is alimah course in hindi के बारे में बात की जाए, तो इसकी जानकारी में बहुत कम ही दी जाती है।
जब हम इस बारे में रिसर्च कर रहे थे, तो हमें भी देखने को मिला कि, बहुत कम इस बारे में बताया गया है। लेकिन यहां पर हमने कोशिश की है कि, इस बारे में आपको संपूर्ण जानकारी दी जाए। इसके लिए इस आर्टिकल को आपको लास्ट तक पढ़ना होगा।
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अलीमा कोर्स क्या होता है?
इस आर्टिकल में यह कोर्स क्या होता है, अलीमा कोर्स का एडमिशन क्या होता है, के अलावा इस कोर्स में कौन-कौन से सब्जेक्ट पढ़ाए जाते हैं, के बारे में भी आपको बताया जाएगा। चलिए अब शुरू करते हैं।
अलीमा क्या होता है?
सबसे पहले बात करें अलीमा का कोर्स कैसे होता है में अलीमा की, तो अलीमा का मतलब होता है कि, धार्मिक ज्ञान प्राप्त करना। इस कोर्स को करने के बाद व्यक्ति को मजहबी एतबार से सही या गलत करने का ज्ञान हो जाता है।
अलीमा कोर्स क्या है?
बात करें कि, अलीमा कोर्स क्या है, तो यह एक एकेडमिक प्रोग्राम होता है, जहां पर ट्रेडिशनल इस्लामी स्टडी बच्चों को कराई जाती है। यह एक इस्लामिक साइंस का एजुकेशन है।
इसे एक certified sister Alimah program कहा जाता है, जो 5 या 6 साल के यूनिवर्सिटी प्रोग्राम के बराबर होता है।
इस कोर्स में धार्मिक किताब की बहुत गहरी नॉलेज दी जाती है। इस कोर्स को कर लोग मुस्लिम कम्युनिटी में अपना टाइम स्पेंड कर करने का dedication दे सकते हैं।
अरबी लैंग्वेज की स्किल्स को भी बेहतर कर सकते हैं। इसके अलावा स्टूडेंट्स अपनी intellectual growth और spiritual development को भी फिर improve कर पाएंगे।
अगर कोई इस कोर्स में enroll करता है, तो फिर स्टूडेंट transformative educational journey पर embark कर सकते हैं।
अलीमा का कोर्स कितने साल का होता है?
अब बात करें How is alima course in hindi के duration की, तो यह कुछ समय के लिए होता है। यह 6 साल तक भी हो सकता है तो 4 साल का भी यह कोर्स हो सकता है।
इस duration में बच्चे इस्लाम की जानकारी के लिए अलग अलग subjects के collection को explore करते है। नीचे हर साल के कोर्स के डिटेल में बताया गया है।
पहला साल
पहले साल में बच्चों को इस्लामिक एजुकेशन के फाउंडेशन के बारे में बताया जाता है। बच्चे यहां पर कुरान की स्टडी पर इंगेज करते हैं।
इसमें बच्चों को selected portions को याद कराया जाता है। साथ ही यहां पहले साल में बच्चे अरेबिक ग्रामर और वोकैबलरी लर्न करना सीखना शुरू करते हैं।
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दूसरा साल
दूसरे साल में कुरान के और भी ज्यादा deep knowledge बच्चों को दी जाती है। वहां पर एडिशनल चैप्टर बच्चों को पढ़ाए जाते हैं। यहां पर अरबी की स्टडी कंटिन्यू होती है।
इससे वह अपनी vocabulary के साथ साथ grammar skills को explore करते हैं। इसके अलावा Hadith studies भी यहां पर पढ़ाई की जाती है।
यहां पर ऑथेंटिकेशन की प्रिंसिपल को कवर करने के अलावा selected Hadith collections की स्टडी भी कराई जाती है।
तीसरा साल
तीसरे साल के अलीमा कोर्स में Hadith के स्टडी के बारे में और भी deep में बताया जाता है। यहां पर extensive collections को एक्सप्लोर किया जाता है।
इसके साथ ही स्टूडेंट यहां पर गहरी समझ में भी इंगेज करते हैं।
चौथा साल
यह इस कोर्स का लास्ट साल होता है। यहां पर इस प्रोग्राम के दौरान जो भी नॉलेज और स्किल बच्चों को सिखाई गई थी, उसे बच्चे और मजबूत करते हैं।
इसके साथ ही गहरी अंडरस्टैंडिंग को वे और गहरी करते हैं। family law, transactions और पूजा इत्यादि पर यहां पर फोकस किया जाता है।
अलीमा का कोर्स कहां से किया जा सकता है?
अलीमा का कोर्स कैसे होता है में अलीम कोर्स आप ALIM University से कर सकते हैं, जहां पर आप इस्लामिक एजुकेशन प्राप्त कर पाएंगे न हालांकि अन्य इंस्टिट्यूशन से भी आप यह कोर्स कर सकते है।
हम यहां पर ALIM University की बात इसीलिए कर रहे हैं, क्योंकि यहां पर इस्लाम के नॉलेज के बच्चों को स्ट्रांग फाऊंडेशन दी जाती है।
ऐसे लोग जिन्हें Alimah, Muslim Scholar, टीचर इत्यादि बनना है, तब आप यहां से यहां कोर्स कर सकते हैं।
ALIM University का गोल है कि, आने वाली जनरेशन के लिए ऐसा मजबूत फाउंडेशन बनाया, जिससे कि इस्लाम को अलग होने से प्रोटेक्ट किया जा सके।
अलीमा कोर्स की क्या इंपोर्टेंस है?
अब हम आपको बताएंगे कि, इस कोर्स की आखिर क्या महत्वता है। इसके बारे में नीचे आपको विस्तार से बताया गया है।
1. इस्लाम की गहरी नॉलेज
इस प्रकार की कुल समय इस्लामिक टीचिंग्स की स्टडी बच्चों को पढ़ाई जाती है, किस प्रकार से रिलिजन की गहरी अंडरस्टैंडिंग बच्चों में डेवलप किया जा सके, इसमें इस कोर्स का फोकस रहता है।
इस कोर्स के सब्जेक्ट की बात करें, तो कुरान, Hadith, Fiqh, Aqeedah, अरबी लैंग्वेज इत्यादि यहां पर cover किए जाते हैं। यहां पर स्टूडेंट को allow किया जाता है कि, वह इस्लाम के core principle इत्यादि को एक्सप्लोर कर पाए।
2. Qualified Religious Leadership
इस कोर्स में इंडिविजुअल को Religious Leadership के रोल को assume करने के लिए तैयार किया जाता है।
इसके लिए वह जरूरी नॉलेज, स्किल इत्यादि प्रोवाइड एक्वायर करते हैं। इसके अलावा उन्हें टीचर, स्कॉलर इत्यादि के तौर पर सर्व करने के लिए अंडरस्टैंडिंग दी जाती है।
3. इस्लामी हेरिटेज का ट्रांसमिशन
यह कोर्स कर कोई भी इंडिविजुअल Islamic Heritage की बचाव और ट्रांसमिशन में अपनी अहम भूमिका निभा सकता है।
बच्चे यहां पर क्लासिकल टेक्स्ट के साथ इंगेज करते है, जो इस scholarly tradition से सिखाया जाता है। इसके साथ ही साथ ही बीते हुए दिग्गज टीचिंग से insights यहां पर gain की जाती है।
इससे इस्लामिक नॉलेज की प्रामाणिकता की सेफगार्डिंग के रूप में हेल्प मिल जाती है
4. ऑथेंटिक इस्लामी गाइडेंस का सोर्स
यह एक ऐसा टाइम है, जब Islamic teachings के मिस इनफॉरमेशन और misinterpretation घूमते रहते हैं।
ऐसे में यह एक ऑथेंटिक इस्लामी गाइडेंस है, जो reliable source के रूप में काम करती है। जो यह कोर्स कंप्लीट कर लेते हैं, वह फिर जटिल धार्मिक मुद्दे के कैपेबिलिटी को नेविगेट करने के लिए अधीन हो जाते हैं।
5. वास्तविक रिसोर्स के साथ एंगेज करना
इस कोर्स में बच्चों को डिस्कशन, डिबेट, रिसर्च प्रोजेक्ट में डिलीवर करने के लिए बढ़ावा दिया जाता है। इससे उनकी क्रिटिकल थिंकिंग enhance होती है।
इसके अतिरिक्त फिर Islamic teachings के फील्ड में होने वाली कन्वर्सेशन में कंट्रीब्यूट करने में उन्हें तैयारी करने में हेल्प मिलती है।
अलीमा कोर्स में क्या-क्या पढ़ाया जाता है?
चलिए जानते हैं कि, अलीमा का कोर्स कैसे होता है में कौन-कौन से सब्जेक्ट सबको पढ़ने को मिलते हैं।
- हेल्थ साइंसेज
- थियोलॉजी
- अरबी लैंग्वेज
- जूरिप्रूडेंस
- कुरान स्टडीज
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FAQ: अलीमा का कोर्स कैसे होता है से ज्यादातर पूछे जाने वाले सवाल
आमतौर पर इसमें 7 साल लगते हैं। हालांकि कुछ लोग जो बचपन से मदरसे में होते हैं, उन्हें यह कोर्स करने में 4 से पांच साल लगते हैं।
इस कोर्स में धार्मिक किताबों की बहुत डीप अंडरस्टैंडिंग बच्चों को प्रोवाइड की जाती है और यहां पर बच्चों को धार्मिक ज्ञान दिया जाता है।
इसके लिए बात करें कि, आपकी उम्र कितनी होनी चाहिए, तो यहां पर न्यूनतम प्रवेश आयु 16 वर्ष रखी गई है।
ऐसे लोग जिन्हें अरबी लिपि की पहचान करनी आती है, पढ़नी आती है, वह लोग यह कोर्स करने के लिए एलिजिबल होते हैं।
बात करें कि, अलीमा कोर्स की फीस क्या होती है, तो यह डिपेंड करता है कि, किस कॉलेज से आप यह कोर्स करना चाहते हैं। क्योंकि अलग-अलग कॉलेज में यह फीस अलग-अलग होती है।
सलाह
अलीमा का कोर्स कैसे होता है के बारे में आज आपको इस आर्टिकल में बताया गया, जिसमें आपको बताया गया कि, यह कोर्स क्या होता है, इस कोर्स में क्या सिखाया जाता है, साथ ही इस कोर्स का क्या महत्व है आदि।
उम्मीद करते हैं कि, आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा, तो इसी प्रकार के टिप्स और ट्रिक के लिए हमारे साथ बने रहे।